और उस पर उंगली उठाने का हक किसी को भी नहीं है। और उस पर उंगली उठाने का हक किसी को भी नहीं है।
वत्सल को बाबूजी की आँखों में अपनी बहन वीणा का दर्द साफ नजर आ रहा था। वत्सल को बाबूजी की आँखों में अपनी बहन वीणा का दर्द साफ नजर आ रहा था।
प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव अपनी आत्मकथा ‘बूंद-बावड़ी’ मे लिखती हैं- “औरत को आखिर किससे प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव अपनी आत्मकथा ‘बूंद-बावड़ी’ मे लिखती हैं- “औरत को आखि...
कागज की किश्तियाॅ तैराने की माद्दा पैदा करनी होगी जिसके प्रति वह संवेदनशील है। कागज की किश्तियाॅ तैराने की माद्दा पैदा करनी होगी जिसके प्रति वह संवेदनशील है।
कैंसर और अकेलेपन की गाँठ... कैंसर और अकेलेपन की गाँठ...
जीवन में हमेशा हमें वक़्त के साथ चलना चाहिए ................... जीवन में हमेशा हमें वक़्त के साथ चलना चाहिए ...................